My poem 'Loss' appears on Spillwords, September 06, 2023
LOSS
written by: R. K. Singh
@profrksingh
The chimneys around my home
print black spots on the walls
darken the air I breathe and
the water I drink or bathe in
the owners know how to shut
the mouths of inspectors
and the mafia know how
to make money this season
politics of lack of rain
repair and management
scraunch smoke from wildfires away
to country’s gas emissions
they have their priorities
mission to rewrite histories
erase the past and erect
new walls of divisions
climate change is no excuse
to mould the minds of Gen-Z
in face of imminent doom:
stay quiet at morass of loss
Published on Spillwords, September 06, 2023
https://spillwords.com/loss-by-rk-singh/
***
A Translation of the poem by Professor Bandana Jha, Vasanta College for Women, Rajghat, Varanasi:
मेरे घर के आसपास की चिमनियाँ
छोड़ जाती हैं कला धब्बा दीवारों पर
गहराती जाती है और हवा जिसमें
साँस लेता हूँ मैं ,जल भी जिसे पीता या नहाता हूँ मैं
मालिक जानता है तरीका
ईसपेक्टर को चुप रखने का
और माफिया जानते हैँ
पैसा बनाना इस मौसम में
कम बारिश की राजनीति
जोड़ना और प्रबंधन करना खूब जानती है
दूर जंगल में लगी आग से अलग
देश के गैस उत्सर्जन के धुएं को निचोड़ना
उनकी अपनी वरीयता है
इतिहास के पुनर्लेखन का लक्ष्य
अतीत को विस्मृत करना और खड़ी कर देना
विभाजन की नई दीवाल
जलवायु परिवर्तन के पास क्षमा जैसी चीज नहीं
आगत भविष्य को आकार देने के लिए सिवाय
भीषण विध्वंस के मुखरे पर
मूल्यों के अवमूल्यन को मौन हो देखने के ....
अनुवाद.....Bandana Jha
prof.bandanajha@gmail.com
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